top of page
  • rashmipatrika

निर्मल मुर्मू की कविता

निर्मल मुर्मू सहायक प्राध्यापक विभाग- संताली एसपी कॉलेज दुमका चेहाव


धा़रती जीबोन सांगिञ गेया,

हारोन मेनाक् कोना-कोना।

तोहोत् ता़किच् साहाव काते,

जुदि मेनाक् ताम लाहाक् साना।

तोबे चेहाव ताहेंन में।।


बारया मेत् एम जा़पिद् रेहों,

तेसार मेत् दो बेंगेत् काम।

हांड़हात् रेहों बिस ताहेंना,

हेड़ेम रेहों बिसेम ञाम।

ओनाते चेहाव ताहेंन में।।


बैरी जुदिय आकोट मेया,

होर डाहार ए एसेद् तामा।

आम जुदिम केटेच् गेखान,

चेत् हों बाय लेटेच् केमा।

ओनाते चेहाव ताहेंन में।।


बिन बोतोर ते तेंगोन मेसे,

बोतोरामाय का़री नांगिञ।

दुख तेहेञ मेनाक् ताम खान,

सुख हों बा़नुक् आ़डी सांगिञ।

मेनखान चेहाव ताहेंन में।।


मोज होरतेम लाहाक् रेदो,

बुगी तेको बोर मेया।

मित् जांगाम लाहाय रेदो,

दोसार जांगा को ओर मेया।

ओनाते चेहाव ताहेंन में।।

2 views0 comments

Recent Posts

See All

ऋतु झा संताल परगना कॉलेज, दुमका चुनौतियां चांदनी का बचपन बड़े ही लाड प्यार के साथ गुजरा था इसलिए उसे किसी भी काम को सीखने में थोड़ा समय लगता था लेकिन उसकी सबसे अच्छी आदत ये थी कि वह किसी भी चीज को सीख

मो मुजफ्फर अंसारी संताल परगना कॉलेज, दुमका खुश रहने पर कहानी एक शिष्य अपने गुरु के पास पहुँचा और बोला,"लोगों को खुश रहने के लिए क्या चाहिए," तूम्हे क्या लगता है? गुरु ने शिष्य से खुद इसका उत्तर देने क

प्रवीण कापरी संताल परगना कॉलेज, दुमका लक्ष्य निकल तू बाहर निकल तेरा भी है लक्ष्य निकल संघर्ष कर तेरा भी है हक नए दौर के नए चुनौतियों से मत डर फूल की तरह खील-खिला सूर्य की तरह प्रकाश फैला चांद की तरह च

bottom of page