- rashmipatrika
प्रकृति से प्रेम
प्रिया कुमारी
संताल परगना कॉलेज, दुमका
प्रकृति से प्रेम
वैसे तो नित्य प्रति हमें अपने आसपास घटित हरेक घटनाओं से कुछ ना कुछ सीखने को मिलता ही रहता है। यहां मौजूद छोटे से छोटे जीव से लेकर बड़े से बड़े जंतु तक, सजीव व निर्जीव तक तथा पादप से लेकर प्राणी तक हमें कुछ ना कुछ सीख मिलती ही है, लेकिन हम इन पर कभी गौर ही नहीं करते।यदि हम अपने दौड़ भाग की जिंदगी से बाहर निकलकर, क्षण भर के लिए ही सही, ध्यान दें और चिंतन करें तो हम पाते हैं कि यह हमारे जीवन की प्रेरणा के बहुत बड़े माध्यम हैं।
यदि हम थोड़ा सा गौर करें तो हम यह जान पाएंगे कि वह छोटी सी चींटी जो नित हमारे पैरों के नीचे दब जाती है, वह हमें कितनी बड़ी सीख देती है। वह नन्ही चींटी अपने वजन का दोगुना से भी ज्यादा भार उठाकर चलती है, बार-बार गिरने के बावजूद वह पुनः उठती है और प्रयास करती है लेकिन अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ती। अंत में अपनी इसी मेहनत और लगन के कारण वह सफल भी होती है। इसके विपरीत हम इंसान होते हैं जो तनिक बाधा या असफलता मिलने पर अपना कार्य ही छोड़ देते हैं और लक्ष्य का त्याग कर देते हैं। सचमुच उस नन्ही सी चींटी से हम धैर्य और लग्न की सीख ले सकते हैं, क्योंकि असफलता किसी कार्य का अंत नहीं होता।
ठीक उसी प्रकार यदि हम बाज को देखें तो वह अन्य पक्षियों से काफी भिन्न होता है, साथ ही उसका जीवन काफी चुनौतीपूर्ण भी होता है। एक मादा बाज अपने बच्चे को उड़ने की शिक्षा देना उस समय प्रारंभ कर देता है जिस समय व शिशु सही तरीके से बोल भी नहीं पाते और ना ही उसके पंख पूरी तरह से खुले होते हैं। बाज अपने बच्चे को लेकर आकाश की ऊंचाई पर जाकर अपने बच्चे को नीचे छोड़ देते हैं।नीचे आने के क्रम में उस बच्चे को पता चलता है कि वह गिर रहा है। बचने के लिए वह अपना पंख खोलना शुरू ही करता है किंतु अविकसित पंख से वह उड़ नहीं पाता और गिरने लगता है। उसी समय उसकी मां उसे गिरने से बचा लेती है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक वह बाज पूरी तरह उड़ना नहीं सीख जाता। इस चुनौती को पार कर व इतना ताकतवर हो जाता है कि वह अपने से दस गुना भारी वजन को भी लेकर उड़ सकता है। हमारे जीवन में हार, असफलता, हताशा और निराशा भी एक चुनौती होती है। यदि हम उसी बाज के बच्चे की तरह पूरी मेहनत और लगन से अपने जीवन की चुनौतियों को पार कर लेते हैं, तो कोई भी असफलता हमें निराश नहीं कर सकती। अंततः सफल होने से हमें कोई नहीं रोक सकता।