top of page
  • rashmipatrika

प्रवीण कापरी की

प्रवीण कापरी

संताल परगना कॉलेज, दुमका



लक्ष्य

निकल तू बाहर निकल

तेरा भी है लक्ष्य

निकल संघर्ष कर

तेरा भी है हक

नए दौर के नए चुनौतियों से मत डर

फूल की तरह खील-खिला

सूर्य की तरह प्रकाश फैला

चांद की तरह चांदनी फैला

क्या लेकर आया है?

क्या लेकर जाएगा

माटी का शरीर माटी में मिल जाएगा

सोच क्या रहा है?

सामने पहाड़ है.

उठ और तोड़ इन पहाड़ों को

असंभव भी संभव हो जाएगा

कर प्रयास

सूखे रेगिस्तान में पानी मिल जाएगा

ऐसे हार कर बैठने से सिर्फ ठोकर खाएगा

कल कल के चक्कर में

ऐसे ही रह जाएगा

निकल तू बाहर निकल

तेरा भी है लक्ष्य

डराने वाले बहुत मिलेंगे मत डर

क्या रखा है पीछे में तू आगे निकल

चुनौतियों को चुन कर संघर्ष

जितना करेगा संघर्ष होगा उतना सफल

निकल तू बाहर निकल

तेरा भी है लक्ष्य?

माता-पिता का मानकर

शिक्षा का मत अपमान कर

क्या कमी है क्यों रहा डर

औरों की मत सोच तू आगे निकल

निकल तू बाहर निकल

तेरा भी है लक्ष्य|

1 view0 comments

Recent Posts

See All

ऋतु झा संताल परगना कॉलेज, दुमका चुनौतियां चांदनी का बचपन बड़े ही लाड प्यार के साथ गुजरा था इसलिए उसे किसी भी काम को सीखने में थोड़ा समय लगता था लेकिन उसकी सबसे अच्छी आदत ये थी कि वह किसी भी चीज को सीख

मो मुजफ्फर अंसारी संताल परगना कॉलेज, दुमका खुश रहने पर कहानी एक शिष्य अपने गुरु के पास पहुँचा और बोला,"लोगों को खुश रहने के लिए क्या चाहिए," तूम्हे क्या लगता है? गुरु ने शिष्य से खुद इसका उत्तर देने क

साक्षी कुमारी संताल परगना कॉलेज, दुमका रुख बदलता मौसम वसंत की सुहानी मौसम कि तरह हो चली है ‌मेरी कहानी इसी धुन मे बुन रही हूं , में अपनी जिंदगानी। रूख बदलती ये मौसम कभी सर्द तो कभी गर्म कभी वसंत की पत

bottom of page