- rashmipatrika
रिमझिम कुमारी की कविता
रिमझिम कुमारी हिन्दी विभाग संताल परगना कॉलेज, दुमका दहेज प्रथा
हैं मानव ,
तूम सब मिलकर
लड़कियों पर
अत्याचार
मत होने दो,
मत करो,
उसका दहेज
के लिए अपमान
वह भी तूम्हारे तरह इंसान
हैं,
अगर कुछ देना
चाहते हो तो
उसे भी प्रेम और सम्मान
दो,
दहेज के लिए
उसका सौदा
मत होने दो,
तूम रिश्तें जोड़ने
के लिए गए हो
न कि, सौदा
करने
अगर कुछ देखना
चाहते हो तो,
उसका संस्कार, गुण और
शिक्षित होना देखो,
दहेज के लिए
मत करो,
उसका बहिष्कार
हैं मानव ,
अगर कुछ करना हैं
तो, दहेज प्रथा का
बहिष्कार करो
हैं मानव,
एक पिता की
जिंदगी भर की
पूँजी को
मत लगने दो,
दाव पर
हैं मानव,
एक पिता की
पगड़ी को
मत झुकने दो
दहेज के लिए,
अगर कुछ करना
हैं तो,
दहेज प्रथा का
बहिष्कार करो