- rashmipatrika
लॉक डाउन की समस्या
अनंत कुमार
संताल परगना कॉलेज, दुमका
लॉक डाउन की समस्या
टिप्पणी:- यह निबंध लॉकडाउन की समस्या पर है तथा यह देश में पहली बार था जब देश में संपूर्ण लाउड लगाया गया था जिस से उत्पन्न समस्या के बारे में निबंध में बतलाया गया है।
लॉकडाउन यह मानव जाति के इतिहास में पहली बार है जहां पूरे देश में धारा 144 के तहत सबको घर में रहने के लिए सलाह दी गई थी यह इसलिए किया गया था क्योंकि एक ऐसा जानलेवा वायरस ने हमला बोल दिया कि पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान चली गई और अभी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है इस वायरस का नाम नोबेल कोरोना वायरस कोविड-19 खा गया।यह एक विश्व व्यापक वायरस है,अर्थात ये ना केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में फ़ैल चुका है। वायरस से बचने का सिर्फ एक ही उपाय था सामाजिक दूरी और मार्क्स पहनना।इस वायरस का संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में तेजी से फैलता है भारत सरकार ने हिदायत दी कि जितना और जहां तक हो सके घर पर रहे और बाहर कम से कम निकले, जरूरी हो तो निकले और समाज दूरी अर्थात एक दूसरे से दूरी बनाए रखें तभी हम इस वायरस को फैलने गति को रोक कम कर सकते है।भारत के लगभग सभी राज्यों में लॉकडाउन लगा दी जा चुकी थी। सभी राज्यों के लोग घर पर ही रह कर सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे थे। लेकिन लोगों के इस प्रकार घर रहने के कारण आर्थिक समस्या उत्पन हो गई।लॉकडाउन का सबसे बुरा असर मध्य वर्ग गरीबों और रोजमरा की जिंदगी जी रहे लोगों पर पड़ा। बड़े-बड़े कार्यालय,कल- कारखाने को बंद करने के कारण मजदूरों पर आफत आ गई थी। जो दैनिक मजदूरी पर जीवन यापन कर रहे थे उनके घरों का चूल्हा जलना बंद हो गया था।समय ऐसा था कि कुछ लोग तो भूखी ही सो जाया करते थे ।लॉक डाउन होने के कारण यातायात के सभी जरिए बंद हो चुके थे जिससे बहुत से लोग जो प्रवासी मजदूर थे वो बाहर ही फंस गए और बहुत परेशानी से घर लौट पाए कईयों के पास तो घर लौटने तक के पैसे नहीं रहे थे।ऐसी परिस्थिति तथा लोगों की समस्या को समझते हुए देश की सरकार ने प्रधानमंत्री राहत कोष से जरूरतमंद लोगों की सहायता करने का निर्णय लिया ,बहुत सारे लोगों ने भी आगे आकर मत करना आरंभ किया। लगभग सभी देशों के कारोबार को भारी क्षति पहुंची। बड़े कारखानों को बंद करने से देश और उनमें काम करने वाले लाखों लोग को बहुत हानि सहन करना पड़ा। बाकि व्यवसायियों को भी इसका काफी नुकसान सहना पड़ा।बहुत से लोग बेरोजगार हो गए। लॉकडाउन से भारत को अनुमानत 100 अरब डॉलर तक का घाटा होने का आशंका है।लोक डाउन के कारण घर में रहते हुए लोगों को मानसिक समस्या हुई। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चों पर पड़ा हुआ क्योंकि वो बाहर खेलने कूदने में असमर्थ थे। इस समय कई लोग डिप्रेशन के शिकार हुए। देखा जाए तो लॉक डाउन का असर सभी पर समान रूप हुआ,चाहे वह छोटा मजदूर हो या बड़ा कारोबारी। लेकिन एक वर्ग ऐसा था जो इस समय फायदे में रहा , मेडिकल और कई अस्पताल जो इस समय लोगों की ज़रूरत थी।
निष्कर्ष के तौर पर कह सकते है कि कोरोना वायरस के कारण हम और हमारी देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा जिससे उभरने में काफी समय लगेंगे।