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संस्कृत में रोजगार एवं संभावनाएं
डॉ. कुमार नृपेन्द्र पाठक
सहायकप्राध्यापक,
संस्कृत विभाग,
सं. प. महाविद्यालय, दुमका
संस्कृत में रोजगार एवं संभावनाएं
संस्कृत सदियों से भारतीय ज्ञान परम्परा को अपने में समेटे हुए, पाणिनीय व्याकरण से यथावत् संरक्षित तथा पूर्णतः वैज्ञानिक भाषा के रूप में विद्वानों द्वारा व्यवहृत भाषा है जिसमें वैदिक काल से अद्यावधि साहित्यसृजन हो रहा है। आज के समय में संस्कृत क्षेत्र में रोजगार की अनेकों संभावनाएं हैं। प्रस्तुत लेख में इससे जुड़े ध्यातव्य तथ्यों का संक्षिप्त उपस्थापन किया जा रहा है।
1. संस्कृत का अध्ययन मल्टीडिसिप्लीनरी अध्ययन के लिए बहुत ही उपयुक्त है।
2. अठारहवीं शताब्दी में सर विलियम जोन्स ने ग्रीक और लेटिन के साथ संस्कृत की तुलना करके यह स्पष्ट किया कि संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की तुलना में एक व्यवस्थित एवं पूर्ण व्याकरण वाली एकमात्र भाषा है। उसी समय से पाश्चात्य शिक्षाजगत ने भी तुलनात्मक भाषाविज्ञान की शुरुआत कर दी।
3. भाषावैज्ञानिक अध्ययन में वर्तमान संगणकीय अनुप्रयोग हेतु भी पाणिनि व्याकरण का प्रारूप महत्त्वपूर्ण माना गया है क्योंकि ब्लूमफील्ड ने कहा है कि पाणिनीय व्याकरण मानव मस्तिष्क की सर्वोत्कृष्टदेन है। और रिक ब्रिक्स ने 1885 में अपने शोधपत्र में कृत्रिमभाषा मशीन को सिखलाने के लिए पाणिनीय प्रारूप को सर्वोत्तम माना। इसके बाद से आइआइटी एवं विभिन्न शोधसंस्थानोंमें संस्कृत के व्याकरणिक एवं भाषावैज्ञानिकपक्षों को आधार बनाकर भारतीय भाषाओं का संगणकीय विश्लेषण आरम्भ हुआ। आज आधुनिक भाषाविज्ञान, संस्कृत और सूचना-प्रोद्यौगिकी मिलकर एक नया मल्टीडिसिप्लीनरी रिसर्च क्षेत्र बन गया है। इस दिशा में संस्कृत शिक्षार्थियों तथा शोधार्थियों को बहुत रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे है।
संस्कृत पढ़कर लोग आइआइटी, सी-डैक एवं प्राइवेट कम्पनियों में बेहतर कार्य कर रहे है।
4. संस्कृत का पारम्परिक क्षेत्र अध्ययन-अध्यापन तो गुरुकुल काल से अद्यपर्यन्त बना हुआ है। स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों तथा प्राइवेट प्रशिक्षण संस्थाओं में शिक्षक के रूप में संस्कृत विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल ही है।
5. संस्कृत विषय का अध्ययन करके बहुत से प्रतिभावान छात्र प्रशासनिक एवं अन्य सरकारी नौकरियों में भी कार्यरत हैं। यहाँ सरकारी नौकरी में भी बेहतर संभावना हमेशा से बनी हुई है।
6. संस्कृत पढ़कर आज मल्टीमीडिया एवं फिल्म एनिमेशन के क्षेत्र में युवा बेहतर कार्य कर रहे है।
7. प्रोफेशनल सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स् भी विभिन्न विद्वानों से इस हेतु संस्कृत का विशेष अध्ययन कर रहे है।
8.राजभाषा अधिकारी के रूप में संस्कृत वाले छात्र बेहतर नौकरी कर रहे हैं। हिन्दी के अतिरिक्त केवल संस्कृत वाले छात्र ही राजभाषा अधिकारी बन सकते हैं।
9. संस्कृत का ठीक से अध्ययन करके छात्र कर्मकाण्ड, ज्योतिष, वास्तुविद्या इत्यादि के भी क्षेत्र में बहुत मान-सम्मान व प्रतिष्ठा के साथ अर्थोपार्जन भी कर रहे हैं।
10. भागवतकथा और रामकथा का वाचन करके भी बहुत से युवा सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा और धनोपार्जन बेहतर रूप से अर्जित कर रहे हैं।
11. संगीत के क्षेत्र में भी युवा संस्कृत के माध्यम से बहुत लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। ध्रुव-संस्कृत बैण्ड इसका उदाहरण है।
12. समाचार के क्षेत्र में भी संस्कृत युवकों एवं युवतियों को राष्ट्रिय पहचान मिल रही है।
13. काव्यपाठ के द्वारा भी कविसम्मेलन में संस्कृत के युवाओं की विशेष पहचान बन रही है।
14. संस्कृत के छात्र योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में भी बहुत सफलता पा रहे हैं।
15. दर्शन एवं पुराण इत्यादि में शोध और शिक्षण में भी संस्कृत छात्रों का भविष्य उज्जवल है।
16. प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृत अभिलेखों, शिलालेखों इत्यादि के अध्येता के रूप में भी संस्कृत छात्रों के लिए अवसर उपलब्ध है।
17. अनुवादक के रूप में लोकसभा, राज्यसभा एवं अन्यान्य कार्यालयों में भी संस्कृत विशेषज्ञ के तौर पर संस्कृत के अध्येताओं को सफलता के बहुत से अवसर उपलब्ध है।
18.सेना में धर्मगुरु के पद हेतु भी संस्कृत के छात्रों को विशेष अवसर उपलब्ध है।
19. आजकल ऑनलाइन संस्कृत शिक्षण का विशेष रूप से बाजार तैयार हो रहा है जिसमें अंगेजी माध्यम में विदेशियों को भी संस्कृत पढ़ाने का अवसर संस्कृतज्ञों को मिल रहा है जिसके लिए विदेशी अध्येता बहुत पैसा खर्च कर रहे हैं।
20. संस्कृत एवं इससे जुड़े सभी भारतीय विषयों को प्रोत्साहित करने वाली संस्कृत एकेडमी एवं संस्कृत भारती जैसे संस्थानों में भी बहुत से कार्य के अवसर उपलब्ध है।
21. संस्कृत भाषा एवं भारतीय ज्ञानपरम्पराके ज्ञाताओं के लिए अवसर की उपलब्धता संस्कृत के पाठ्यक्रम में लगे विभिन्न बिन्दुओं को सार्थक सिद्ध करने में सफल हैं।