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  • rashmipatrika

साक्षी कुमारी की कविता

साक्षी कुमारी

संताल परगना कॉलेज, दुमका



रुख बदलता मौसम

वसंत की सुहानी मौसम कि तरह

हो चली है ‌मेरी कहानी

इसी धुन मे बुन रही हूं ,

में अपनी जिंदगानी।


रूख बदलती ये मौसम

कभी सर्द तो कभी गर्म

कभी वसंत की पतझड़

तो कभी बरसात की झमझमाती बारिश।


ये चलती मंदमस्त हवाएं

मन को मेरे भाऐ

मौसम का हाल भी आज कुछ-कुछ मुझसा है,

थोड़ा उखड़ा - उखड़ा सा मगर खुश सा है।


जिदंगी के सारे मौसम रूप बदल लिए है

पर अब भी बरसात कहीं बाकी है

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